संवाददाता, पटना : मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट ट्यूबरकुलोसिस (एमडीआर-टीबी) से जूझ रहे मरीजों के लिए राहत भरी खबर है. अब उन्हें दो साल तक दवा का कोर्स नहीं पूरा करना होगा. सिर्फ छह महीने के कोर्स से ही एमडीआर टीबी का खत्मा होगा. नये कोर्स की दवाएं अब एमडीआर मरीजों को देने की तैयारी शुरू कर दी गयी है. इसी क्रम में अब शहर के पीएमसीएच, एनएमसीएच के टीबी-चेस्ट रोग विभाग सहित पटना जिले के सभी सरकारी अस्पतालों के डाट्स सेंटरों पर मरीजों को टीबी के कोर्स की नयी दवा बीपीएएल एम रेजीमेन, बेडाक्युलीन, प्रेटोमनीड, लीनेजोलीड दिया जायेगी. इसकी सप्लाइ संबंधित अस्पतालों में शुरू हो गयी है. स्वास्थ्य विभाग ने जिले में नयी दवा प्रिटोमानिड उपलब्ध करायी है. जोन अन्य दवाओं के साथ मिल कर टीबी के मरीजों को छह महीने में ठीक करने में सक्षम है.
प्राइवेट में दवा की कीमत एक लाख के करीब, सरकारी में नि:शुल्क
सिविल सर्जन डॉ अविनाश कुमार सिंह ने बताया कि टीबी मुक्त बिहार बनाने की दिशा में कई कार्य किये जा रहे हैं. इसी क्रम में अब नयी दवाओं की भी सप्लाइ की जा रही है. उन्होंने बताया कि पहले एमडीआर टीबी के मरीजों को पूरे दो साल तक दवाओं का कोर्स करना होता था. लेकिन, अब नयी दवा से छह महीने में ही इलाज किया जा सकता है. इससे मरीजों को परेशानी कम होगी और इलाज पूरा होने की संभावना बढ़ेगी. वहीं, जानकारों की मानें, तो एमडीआर टीबी की नयी मिश्रित दवा को अगर बाजार से खरीदते हैं, तो छह महीने की दवा की कीमत करीब एक लाख रुपये तक पहुंच जाती है. लेकिन, स्वास्थ्य विभाग की पहल पर टीबी की दवाएं नि:शुल्क वितरण की जा रही हैं.
कैसे करना होगा सेवन, पहले खानी होती थी 20 दवाएं
डॉक्टरों के मुताबिक, एक सप्ताह तक मरीजों को पहले बेडाक्युलीन, प्रेटोमनीड, लीनेजोलीड की एक-एक गोली रोज दी जायेगी. इसके बाद दूसरे सप्ताह से सिर्फ बेडाक्युलीन को एक दिन छोड़ कर दिया जायेगा, जबकि प्रेटोमनीड, लीनेजोलीड का सेवन रोजाना रहेगा. आम तौर पर टीबी मरीजों को रोजाना 20 दवाइयां लेनी पड़ती हैं. लेकिन, ट्रायल सफल होने के बाद मरीजों को सिर्फ तीन टैबलेट खाने पड़ेंगे. 18 से 24 महीने के बजाय सिर्फ छह महीने तक इस बी-पाल का सेवन करना पड़ेगा.
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